शाबाश डॉल। यूँ ही करती रहो ग्वालियर का नाम रोशन

(जितेंद्र पाठक, ग्वालियर)

कहते है कि कला की कोई सीमा नही होती वैसे ही कलाकार की भी कोई उम्र नही होती…इस बात को ग्वालियर की बाल कलाकार डॉल जयेश कुमार से साबित कर दिया है।डॉल अभी 12 साल की है लेकिन उपलब्धियों ने उसे उम्र से बहुत बड़ा बना दिया है।12 साल की डॉल के नाम पर 4 नेशनल रिकार्ड के साथ ही 510 स्टेज शो,110 क्लासिकल सोलो प्रतियोगिता में विजेता,94 अवार्ड जुडे है।डॉल ने लॉक डाउन में 111 डिजिटल शो किये ।डॉल के कथक को अंतरराष्ट्रीय ताज महोत्सव में अलग पहचान मिली वहा 2 साल लगातार आमंत्रित किया गया।

मात्र 8 साल की उम्र में डॉल को नेपाल में अंतरराष्ट्रीय नृत्य कला अवार्ड से सम्मानित किया गया वही 8 साल को उम्र में ही डॉल ने मध्य प्रदेश के एक मात्र संगीत विश्व विद्यालय राजा मानसिंह तोमर कला और संगीत विश्वविद्यालय के राज्य स्तरीय युवा उत्सव 2018 को जीत कर एक अलग पहचान बनाई।
डॉल ने बहुत ही छोटी उम्र में अपनी माता पुजा जयेश कुमार के कथक की रियाज़ के दौरान कथक सीखना शुरु कर दिया था।फिर विधिवत रूप से गुरु डॉ अंजना झा से दीक्षा ली,वर्तमान में डॉल कथक गुरु डॉ तरुणा सिंह से कथक की शिक्षा ग्रहण कर रही है।

लखनऊ घराने ओर जयपुर घराने से विशेष सम्मान-
डॉल को 2018 में कलावीथिक में आयोजित लखनऊ घराने की कथक कार्यशाला में विशेष सम्मान मिला।लखनऊ घराने के कथक गुरु दीपक महाराज(आदरणीय गुरु बिरजू महाराज के पूत्र) ने डॉल को व्यक्तिगत पुरुस्कार से सम्मानित किया वही जयपुर घराने के कथक गुरु हरीश गंगानी ने भी सम्मानित किया है।

डॉल ने कई राष्ट्रीय ओर अंतरराष्ट्रीय समारोह में अपने कथक से कलाजगत को अचरज में डाला है।डॉल की प्रस्तुति को दक्षिण भारत में विशेष स्थान मिला है।वहां दशहरे के विशेष पूजन में कई बार डॉल की डिजीटल प्रस्तुतियां हो चुकी है।
डॉल स्टेज कलाकार के साथ ही कला की साधक भी है।कला या कलाकार के सम्मान का विशेष ध्यान रखती है।नृत्यकला ओर कलाकार के लिए अपमानजनक टिप्पणी करने वाले टीवी सीरियल “नमक इश्क का” को डॉल की शिकायत पर नोटिस मिला था।इस सीरियल में पब्लिसिटी के लिये नृत्य की कलाकार को नचनिया जैसे से संबोधित किया जा रहा था।वही वेब सीरियलों के मामले को भी डॉल के प्रयास से सरकार ने गंभीरता से लिया।

डॉल चाहती है कि तानसेन की नगरी ग्वालियर को सूर ओर ताल के साथ नृत्य से भी पहचान जाए।इसके लिए डॉल 4 से 6 घण्टे प्रति दिन रियाज़ करती है ।डॉल देश ही नही विश्व के हर कोने तक कथक को पहचान चाहती है।डॉल दूरदर्शन कलाकार भी है।

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