(जितेंद्र पाठक, ग्वालियर)
ग्वालियर अंचल के एक कद्दावर विधायक जो मंध्यप्रदेश की बीजेपी सरकार में मंत्री भी है उनके पास सरकार में विभाग तो बेहद दमदार है लेकिन इन दमदार मंत्री जी की दमदारी विभाग में नही चल पा रही है। मंत्री महोदय बेहद खुशमिजाज, कुशल वक्ता होने के साथ ही यारबाज है जिसके चलते उनके समर्थक, कार्यकर्ता और उनसे जुडे नजदीकी लोग उनसे, उनके विभाग के चलते ज्यादा उम्मीदें पाले बैठे है। लेकिन सूत्र कहते है कि मंत्री जी अपनी कहानी किसको बताएं, कि उनकी मर्जी के हिसाब से तो छोटे छोटे ट्रांसफर और पोस्टिंग भी नही हो पा रहे है। स्थिति नाम ‘’दारोगा’’ वाली हो गई है। उधर काम कराने के लिए मंत्री जी के चहेतों ने उनके स्टाफ में नकेल डाल रखी है। काम के लिए दिन रात फोन कर करके हालत खराब कर दी है। स्टाफ भी मंत्री जी को रोज की रामकहानी बता बताकर परेशान है, कि उनके लोगों का क्या जबाब दिया जाए। मंत्री जी को खुद जबाब देते नही बन रहा है। और तो और मंत्री जी के कुछ खास चहेते तो स्टाफ से जबाब न मिलने पर डायरेक्ट मंत्री महोदय को ही फोन ठोक कर पुराने दिनों का याद दिला रहे है।
सूत्र बताते है कि हैरान परेशान मंत्री जी ने ‘’ब्राह्मण’’ बुद्धि का इस्तेमाल करते हुए इस परेशानी का तोड अब से लगभग 15 दिन पहले निकाल ही लिया। डबरा-दतिया मार्ग के एक होटल में गुपचुप तरीके से उन सभी समर्थक, कार्यतकर्ताओं और नजदीकियों को बुला लिया, जो लायसेंस, ट्रांसफर, पोस्टिंग और दूसरे दीगर काम हाथ में लिए मंत्री और उनके स्टाफ का जीन हराम किए हुए थे। इस दौरान मंत्री के साथ ही उनके कुछ चुनिंदा रिश्तेदार भी मौजूद बताए गए।
जानकार सूत्रों के मुताबिक मंत्री महोदय ने एक एक कर सबसे बात की। और पूछा कि जो काम तुम लेकर आए हो, उसमें क्या फायदा मिलने वाला है ज्यादातर का हित आर्थिक ही था तो किसी ने 50 हजार, किसी ने एक लाख तो किसी ने 5 लाख मिलने की बात रखी। बताते है कि मंत्री महोदय ने अपनी शैली में समझाते हुए कहा कि अपना माल पकडो. दीवाली मनाओ और फिलहाल किसी काम के लिए न तो उनको और न ही उनके स्टाफ को कोई फोन करेगा।
कहते है कि दीवारों के भी कान होते है तो खबरी सूत्रों के कान बताते है कि मसले पर सहमति बन गई, अब बात के बाद भुगतान भी होना था सो तय हुआ कि मंत्री जी के सालों साल पुराने सरकारी निज सहायक के एक रिश्तेदार जो कि ची…..र के आसपास निवासरत बताए जाते है उनके यहां से भुगतान हुआ। सूत्रों के तार बताते है कि पूरी कवायद करीब 1 Cr. में जरूर निपटी, लेकिन मंत्री जी और उनका स्टाफ जरूर राहत की सांस ली है।
यदि राजनैतिक गलियारों की सुगबुहाटों पर विश्वास किया जाए तो मंत्री जो को ऐसा विश्वास है कि दिसबंर के बाद कहानी बदल जाएगी। इसलिए फिलहाल काम के लिए दबाब को कम से कम दिसंबर तक होल्ड पर रखने के लिए ही ये बीच का रास्ता निकाला है तो उनके अपने नाराज भी न हो, और मंत्री जी की काम न करा पाने की मजबूरी भी दबी रहे।….जय माई की