मिसहिल स्कूल का 105 वां स्थापना दिवस धूमधाम से मना, बच्चों ने दिखाया टैलेंट का जादू, विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह पहुंचे

ग्वालियर6जनवरी2025। शिक्षा के साथ साथ देश की संस्कृति व संस्कारों का ज्ञान भी बेहद जरूरी है। हमारी संस्कृति व वैदिक परम्परायें हमको विश्व में सबसे अलग बनाती है। इसी कारण आज फिर भारत विश्व गुरू बनने की ओर अग्रसर हैं। यह बात रविवार को मप्र विधानसभा के अध्यक्ष नरेन्द्र सिंह तोमर ने मिसहिल विद्यालय के वार्षिक उत्सव समारोह व 105वें स्थापना दिवस पर कहीं।


समारोह में विधानसभा अध्यक्ष नरेन्द्र सिंह तोमर ने कहा कि मिसहिल विद्यालय ने 105 वर्ष का स्थापना दिवस मनाकर यह साबित कर दिया है कि शिक्षा के साथ संस्कार होंगे तो कतई कोई व्यक्ति या संस्था पिछड़ी नहीं रह सकती। तोमर ने कहा कि बच्चे ही देश का भविष्य है। आज भारत प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में फिर विश्व गुरू बनने की ओर अग्रसर है। प्रधानमंत्री का सपना भी है कि 2047 में भारत सबसे अग्रणी राष्ट्रों में सबसे आगे हो। हम देश में स्वदेशी मिशन को भी लेकर आगे बढ़े है। उन्होंने मिसहिल स्कूल के छात्रों से आव्हान किया कि वह 2047 के लिये अपनी मुख्य भूमिका निभाने के लिये तैयार रहें।

वहीं कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि हिमाचल प्रदेश की सेन्ट्रल पर्यटन यूनिवर्सिटी के डायरेक्टर संदीप कुलश्रेष्ठ ने कहा कि बदलते नये युग में स्कूल छात्र जीवन से ही बच्चों को अपने संकल्पों पर चलना चाहिये, ताकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नये विजन के हिसाब से हम अपने देश को अग्रणी रखें। उन्होंने कहा कि आज हमारा देश हर मामले में आत्मनिर्भर बना हैं, जो साबित करता है कि हमारा युवा बेहद टेलेंटेड हैं। बस जरूरत उन्हें मौका उपलब्ध कराने की है।

कुलश्रेष्ठ ने मिसहिल स्कूल के 105 वर्षों की यात्रा की सराहना की। इससे पूर्व मिसहिल स्कूल प्रबंध समिति के अध्यक्ष डा. ओएन कौल, सचिव सरनाम सिंह तोमर ने विद्यालय की प्रगति यात्रा पर इतिहास डाला। वहीं प्राचार्य डा. एसपी सिंह ने सभी अतिथियों का स्वागत कर उनको स्मृति चिन्ह दिये। इस मौके पर भाजपा नेता अशोक जैन, फाइन आर्टस कालेज की जनभागीदारी समिति के अध्यक्ष विनय अग्रवाल, अर्जुन सिंह, डा. राकेश रायजादा, प्रदीप वर्मन आदि उपस्थित थे। वार्षिक उत्सव समारोह में मिसहिल स्कूल विद्यालय के बच्चों ने एक से बढ़कर एक प्रस्तुति दी।


बुजुर्गों का ख्याल रखें, नुक्कड़ नाटक सबने सराहा
उम्रदराज हो चुके बुजुर्गों के जीवन पर आधारित एक नुक्कड़ नाटक मिसहिल स्कूल के बच्चों ने प्रस्तुत किया। जिसमे आधुनिकता के आडंबर में फंसे युवा कैसे अपने मां-बाप को घर परिवार से दूर कर रहे हैं और बुजुर्ग मां बाप कैसे परेशान हो रहे हैं, को बताया गया। बासु पाठक और उनकी टीम की अगुआई में इस नुक्कड़ नाटक में अपने बुजुर्ग माता पिता को साथ रखने का आव्हान किया गया, ताकि उनकी छत्रछाया व आर्शीवाद में परिवार फल फूल सकें।

समापन पर रामायण का मंचन बेहद भावभूर्ण रहा, स्कूल के बच्चों ने बेहद शानदार तरीके से प्रस्तुति दी, पूरी रामायण को बच्चों ने मंच पर सजीव कर दिया, जिसे वहां मौजूद अतिथियों ने काफी सराहा।

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